kavyasudha (काव्यसुधा)
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जब भी तुम आती हो,
एक कोमल भाव जगाती हो.
मेरे ह्रदय के चित्र पटल पर
चित्र नए दिखलाती हो.
तेरे नैनों के जादू से
भाव नए भर जाते है.
कैसे भी हो दर्द पुराने,
घाव सभी भर जाते हैं.
चौदहवीं के चाँद सी
नए अनुराग जगाती हो,
मेरे जीवन के मरुस्थल को
गुलशन तुम बनाती हो.
गुमशुम गुमशुम रहने वाला
मेरा दिल भी गाता है.
हाथों में मेरे हाथ लिए
जब तुम गीत सुनाती हो.
एक तेरे आने से जीवन,
खुशियों से भर जाता है.
जीवन के अंधियारे में
जगमग दीप जलाती हो.
जब भी तुम आती हो
जीवन मधुमय हो जाता है.
मेरे उसर ह्रदय प्रदेश में
सुन्दर फूल खिलाती हो.
तुम्हारे गेसुओं से खेलूं
तुम्हे बाँहों में ले लूँ
मेरी धडकनों को छूकर
नए अरमान जगाती हो.
……….नीरज कुमार ‘नीर’
Neeraj Kumar Neer
मेरी अन्य कवितायें यहां पढ़ें : KAVYASUDHA ( काव्यसुधा )
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