kavyasudha (काव्यसुधा)
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जब तुम नहीं थे, तुम्हारी
यादों की खुशबू आई
हर गली, हर घड़ी
मोड़ जो भी मुड़ा
बस्ती, जंगल,
भीड़ या कि तन्हाई
संग रही
सदा तुम्हारी परछाई ।
जब तुम नहीं थे तुम्हारी
यादों की खुशबू आई
घने धूप का डेरा
या अँधियारे ने घेरा
बादे शबा थी या कि
डूबते सूरज की लालाई
काल सागर पर
स्मृति लहरें
लेती रही अंगड़ाई ।
जब तुम नहीं थे तुम्हारी
यादों की खुशबू आई
(c) neeraj kumar neer
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