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पापा मुझे बन्दूक दिलवा दो : बाल कविता

kavyasudha (काव्यसुधा)
kavyasudha (काव्यसुधा)
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पापा मुझे बन्दूक दिलवा दो
मैं सैनिक बन जाऊँगा।
जाकर देश की सरहद पर
दुश्मन के छक्के छुड़ाऊँगा।

मैं देश का प्रहरी बनूँगा
तुम सब चैन से रहना।
मेरा बेटा एक सैनिक है
गर्व से तुम कहना।

रण क्षेत्र में खूब लडूंगा
पीठ नहीं दिखलाऊंगा।
सीने पर गोली खाउंगा
मरकर शहीद कहलाऊंगा।

खुद मरने से पहले लेकिन
सौ सौ को मैं मारूंगा।
जब तक अंतिम सांस चलेगी
हार नहीं मैं मानूंगा।
………..
नीरज कुमार नीर ( neeraj kumar neer)
मेरी अन्य कवितायें यहाँ भी पढ़ सकते हैं : KAVYASUDHA ( काव्यसुधा )

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