kavyasudha (काव्यसुधा)
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पॉकेट में तारों को भरकर
चाँद को रैपर में लपेट
मैं ले आऊँगा
तुम्हारे वास्ते
मेरी जान !
तुम उसे सजा लेना
अपने दामन में
और मैं देखूंगा
तुम्हारे चेहरे पर
उमड़ आई
बड़ी सी मुस्कान
जिससे चाँद फिर
निकल आएगा
आसमान में .
एक मद्धिम दूधिया रौशनी
ले लेगी समूचे हयात को
अपने आगोश में
तुम्हारी आँखों की चमक से
अंबर में उग आएंगे
फिर से सितारे।
…………….
नीरज कुमार नीर
Neeraj kumar neer
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KAVYASUDHA ( काव्यसुधा )
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